ग्राहकों को अपनी लच्छेदार बातों में नहीं फंसा पाएंगे बीमा एजेंट consumer ministry ने दिया यह बड़ा सुझाव
Insurance से जुड़ी हुई सिर्फ एक ही बड़ी शिकायत सामने आती है वह है क्लेम में मिलने वाले पैसे को लेकर टर्म्स एंड कंडीशन को पॉलिसी भेजते समय ग्राहक को ना बताए जाना।

Highlights
- बीमा बेचने के दौरान एजेंट छिपाते है क्लेम सेटेलमेंट से जुड़ी जानकरी
- दर्ज शिकायतों में क्लेम सेटेलमेंट है बड़ी समस्या
- उपभोक्ता मामले की सचिव ने दिया ऑडियो वीडियो रिकॉर्ड करने का सुझाव
बीमा खरीदने (INSURANCE POLICY) के बाद अक्सर ग्राहक इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें उन कंडीशंस के बारे में नहीं बताया गया है जो क्लेम सेटेलमेंट के लिए आवश्यक थी। ऐसे ऐसे में यदि पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाए तो नॉमिनी को क्लेम (INSURANCE CLAIM) मिलने में बड़ी असुविधा होती है और कभी-कभी तो भारी भरकम अमाउंट जमा होने के बाद क्लेम भी नहीं मिलता। बीमा धारा को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय के द्वारा एक बड़ी सिफारिश सामने आई है। दरअसल उपभोक्ता मामले की सचिव ने फाइनेंशियल सर्विसेज सचिव को एक चिट्ठी लिखकर के शर्तों में कुछ बदलाव करने की प्रस्ताव दिए हैं। अगर यह बदलाव कर दिए जाते हैं तो बीमा खरीदने वाले बीमा धारकों को काफी राहत मिलेगी। और बीमा एजेंट बीमा ग्राहकों को गुमराह करके पॉलिसी नहीं भेज पाएंगे।
क्या रखा गया है प्रस्ताव
दरअसल उपभोक्ता मामले की सचिव ने प्रस्ताव दिया है कि इंश्योरेंस पॉलिसी (INSURANCE POLICY) जब एजेंट बचने के लिए कस्टमर के पास जाता है तो जो भी दोनों के बीच में बातचीत होती है। उसका इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखा जाए मतलब यह तो ऑडियो रखा जाए यह फिर वीडियो को संधारित किया जाए ऐसे में जब कभी कोई ऐसी बात सामने आएगी जिसमें एजेंट मुकरेगा तो कस्टमर अपनी बात को सही फॉर्म में रखने के लिए सक्षम हो पाएगा। प्रस्ताव यह भी कहा गया है कि जब ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग हो तो एजेंट को कस्टमर के साथ सभी विषयों पर पूरी चर्चा करनी चाहिए ताकि कस्टमर को बीमा खरीदने के दौरान कोई कंफ्यूजन ना रहे।
IRDA लेगा अंतिम निर्णय
इस तरह की बात इसलिए सामने आई क्योंकि च और अन्य माध्यमों से बीमा से जुड़ी शिकायतों में सबसे बड़ा शिकायत यही रहती है कि जब बीमा कस्टमर को बेचा गया तो उसे एजेंट ने पूरी बात नहीं बताई जिससे उसे क्लेम लेने में काफी दिक्कतें (INSURANCE CLAIM) हो रही हैं। हालांकि उपभोक्ता मामले के सचिव के द्वारा दिए गए इन सुझावों को लागू करना है या नहीं करना है यह इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी के ऊपर ही निर्भर करता है।